नारी तुम देवी हो
इसे मत भूलो तुम
द्वेष भावना से परे
हर कर्त्तव्य निभाओ तुम
घर को ही नहीं
सारे संसार को स्वर्ग बनाओ तुम
क्षमता है तुममें, काबिल हो तुम
स्वयं को कमजोर न समझो तुम
अपने नेक कृत्यों से
सिखा दो दुनिया को
नेकी तुम
स्नेह – प्रेम की धारा में
बहा दो बदी की
राहों को
पुत्र जनो, तो बना दो उसे
पुरूषोत्तम राम तुम
पुत्री को दो सीता के
संस्कार तुम
रोक सकती हो तुम्हीं उन्हें
रावण और विभिषण बनने से
तेरी शिक्षा, तेरा आदर्श रोकेगा
आतंकी और देशद्रोही बनने से
संकल्प तेरा, ताकत तेरी
सींचेगी – देश की मिट्टी को
दूध तेरा बनकर लहू दौड़ेगा
नसों में तेरे सपूतों के
देश पुकारता है तुम्हें
सच्ची देशभक्ति दिखाओ तुम
ऋणि होगा समाज तुम्हारा
सामाजिकता अपनाओ तुम
सम्मान जहाँ होता तुम्हारा
वहीँ ईश्वर का वास है |
अपमान अब हो न तुम्हारा
ये तो तुम्हारे हाथ है |
घर, कुल, समाज को
स्वर्ग बनाना –- यही तो
तुम्हारा पाठ है |
आदर्श बनो, विद्वेष छोड़ो
भाव पवित्र, स्वाभाव मृदुल
फिर कुछ भी नहीं मुश्किल |
बुद्धिजीवि हो तुम
सहजता, सरलता, सलीका
कर्मठता, मधुरता, सहिष्णुता
हजार गुण हैं तेरे
इनका सही प्रयोग ही
योगदान है तेरा
नारी तुम देवी हो
इसे मत भूलो तुम |
-------x------
-- मधु रानी
08/03/2017
(अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर)

No comments:
Post a Comment