क्षणिकाएँ (दोस्त – दोस्ती)
१.
घर के पिछवाड़े
अमवा के डारे
खेला करते
खेला करते
हम तीन मतवारे
ऐसे बीते
बचपन हमारे ------ !
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२.
एक चढ़ता पहले
दूजी मुझे ठेले
तीन डार पर तीनों
लगा लेते डेरे |
ऐसे बीते बचपन हमारे ------ !
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३.
अम्मा ढूँढें आगे
बहना पिछवाड़े
कोई ढूँढ न पाए
अपने तो वारे – न्यारे
ऐसे बीते बचपन हमारे ------ !
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४.
पन्द्रह की कमसिन
उम्र की सखियाँ
सिखा गईं कई
शोख मस्तियाँ
कैसी अल्हड़ थीं
मद – मस्त जवानियाँ !
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५.
आया बसंत जीवन में
महाविद्यालय के प्रांगण में ,
मित्रों की टोली संग जब
ईद – दीवाली मनाएं हम |
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-- मधु रानी
18/05/2016
18/05/2016

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