तुम से सृष्टि है,
तुम से सिद्धी है,
तुम शक्ति हो,
तुम भक्ति हो,
तुम दाता हो,
तुम माता हो,
तुम करुणा हो,
तुम रौद्र हो,
तुम सत्य स्वरूपा हो,
तुम दु:ख हरणी हो,
कल्याण-मयी हो,
दुष्ट-विनाशक हो,
तुम पूजनीय हो,
तुम सर्वस्व हो,
तुम नारी हो,
तुम देवी हो,
फ़िर आज कुछ नारी
अबला क्यों?
पुरुष करते अराधना तेरी,
फ़िर नारी का अपमान क्यों?
क्यों देती हो शक्ति उन्हें,
जो नारी का करते
शील-भंग?
क्यों मूक, देख रही 'माँ' तू
अपनी पुत्री का
चीर-हरण?
कैसे सुनते कर्ण, तेरे माँ
चीत्कार,
असहाय अबलाओं की?
तुझे मानते 'देवी' जब
फ़िर हमें निरा 'वस्तु' क्यों?
नही क्षम्य है माँ 'वह'
जो माता को आराध्य मानते
और माँ-बहनों को छलते रहते।
कर दे शक्ति का
संचार हममें भी,
बन जाएँ चंडी हम भी,
दुष्टों को मार।
कर दे भस्म
त्रिनेत्र खोल,
कुदृष्टि जो डाले,
नारी पर।
दे रौद्र-रूप
दे ज्वाला प्रचंड
दे शक्ति
दस भुजाओं की।
अा, बस जा,
अंतरमन में हमारे
हृदयस्थ कर लें
तुझे हम माँ।
दे दंड उन्हें
दर्प चूर कर
कर शंख नाद
विध्वंस, कर
माँ हमें भी
तू सबल कर
दामिनी बन
टूट पड़ें
पापियों का
नाश करें ।
या फिर
माँ तू स्वंय आ
आ माँ -
हमारी लाज बचा ।
हुंकार भर,
दस दिशा कँपा,
कर पाप नाश
कर पाप नाश।
तुम से सिद्धी है,
तुम शक्ति हो,
तुम भक्ति हो,
तुम दाता हो,
तुम माता हो,
तुम करुणा हो,
तुम रौद्र हो,
तुम सत्य स्वरूपा हो,
तुम दु:ख हरणी हो,
कल्याण-मयी हो,
दुष्ट-विनाशक हो,
तुम पूजनीय हो,
तुम सर्वस्व हो,
तुम नारी हो,
तुम देवी हो,
फ़िर आज कुछ नारी
अबला क्यों?
पुरुष करते अराधना तेरी,
फ़िर नारी का अपमान क्यों?
क्यों देती हो शक्ति उन्हें,
जो नारी का करते
शील-भंग?
क्यों मूक, देख रही 'माँ' तू
अपनी पुत्री का
चीर-हरण?
कैसे सुनते कर्ण, तेरे माँ
चीत्कार,
असहाय अबलाओं की?
तुझे मानते 'देवी' जब
फ़िर हमें निरा 'वस्तु' क्यों?
नही क्षम्य है माँ 'वह'
जो माता को आराध्य मानते
और माँ-बहनों को छलते रहते।
कर दे शक्ति का
संचार हममें भी,
बन जाएँ चंडी हम भी,
दुष्टों को मार।
कर दे भस्म
त्रिनेत्र खोल,
कुदृष्टि जो डाले,
नारी पर।
दे रौद्र-रूप
दे ज्वाला प्रचंड
दे शक्ति
दस भुजाओं की।
अा, बस जा,
अंतरमन में हमारे
हृदयस्थ कर लें
तुझे हम माँ।
दे दंड उन्हें
दर्प चूर कर
कर शंख नाद
विध्वंस, कर
माँ हमें भी
तू सबल कर
दामिनी बन
टूट पड़ें
पापियों का
नाश करें ।
या फिर
माँ तू स्वंय आ
आ माँ -
हमारी लाज बचा ।
हुंकार भर,
दस दिशा कँपा,
कर पाप नाश
कर पाप नाश।

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