Saturday, 17 June 2017

पिता



पिता वह शख्सियत है
कल्पना से ही जिसकी
जीवन में ----
उमंग, उत्साह और
उर्जा का ----
संचार होता है |
          उनके न होने का अहसास
          एक `हूक’ उठाती है
          दिल में
          टीस और दर्द के
          मर्म का ----
          फिर हिल्लोर आता है |
शत – शत नमन है
ऐ पिता तुम्हें,
जिन्होंने ----
अवलंबन बन कर
दृढ़ता से ----
सदा थाम रखा है |
          कभी छाँव, कभी जमीं
          कभी पूरा आकाश
          बनकर ----
          स्नेह – सिक्त हाथों से
          पल – पल ----
          मुझे दुलार जाता है |
खुदा आप हो मेरे
जहाँ आप हो मेरे
ये ख्याल ----
आज भी मेरी
किस्मत ----
सवाँर जाता है |


पितृ दिवस पर मेरे पूज्य पिताजी को समर्पित
                   -- मधु रानी
जून -2015

    

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