कुछ खुराफात करने को आज फिर
दिल चाहता है |
२. जी चाहता है दौड़ पडूँ, सीमाओं को लाँघ कर
या उड़ चलूँ, क्षितिज की ओर पतंग बनकर |
३. तोड़ – फोड़ करूँ, खिलौनों के साथ, और फिर
रो पडूँ चीख – चीख कर नए
खिलौनों के लिए |
४. हँसूं दिल खोलकर, निश्छल
हँसी
ज़माने ने हैं मुस्कुराहट पर ताले
जड़े |
५. रचाऊँ गुड्डे – गुड़ियों का
विवाह, दोस्तों के साथ
पिटूँ फिर से एक बार माँ के हाथ |
६. उछलूँ – कूदूँ, खेलूँ या
गिर पडूँ,
मर्जी मेरी हो, मैं चाहे जो करूँ |
७. बंधनों को तोड़ कर, आजाद
जीने को जी चाहता है
तनावों से मुक्त होकर, खिलखिलाने
को दिल चाहता है |
८. ज़िद से झुकाऊँ सबको या सिर
पर उठा लूँ घर को
नखरे दिखा कर, आज भी चलो सब को सताऊँ फिर से |
९. न बात सुनूँ किसी की, न ज़ोर ज़बरदस्ती हो
अपने मन का करना बस यही ज़िन्दगी हो |
१० तितलियों के पीछे भागूँ,
बागों में झूले झूलूँ
भँवरों से डर कर भागूँ, नाचूँ गीत गाऊँ |
११. अपनी ही धुन में मस्त, सोचूँ न पीछे – आगे
जो होगा देखा जायेगा, भावना यही
जागे |
१२. जो आये कोई शिकायत,
पड़ोसियों के घर से
छुप जाऊँ झट जाकर, आँचल में ममता के |
१३. वो छिपना, वो छिपाना, उल्टा – सीधा पढ़ना
चुपके – चुपके, बंद दरवाजे खोल भागना |
१४. न डर न कोई खौफ़ था, न चिंता न फिकर थी
कर - कर के गलतियाँ भी, ज़िन्दगी सुखद – सरल थी |
१५. ऐसी ही कुछ मस्तियाँ, करने
को जी चाहता है
बचपन में लौट फिर से, गुनगुनाने को दिल चाहता है |
१६. क्या थे पल वो, कैसे थे,
मधुर – मधुर सपनों जैसे
क्यों आज हाथ न आते वो पल, मुट्ठी से फिसलते जाते हों जैसे
|
-मधु रानी
21/11/2016

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