Thursday, 4 May 2017

दिल चाहता है




१. बचपना करने को आज भी जी चाहता है,
      कुछ खुराफात करने को आज फिर दिल चाहता है |

२. जी चाहता है दौड़ पडूँ, सीमाओं को लाँघ कर
   या उड़ चलूँ, क्षितिज की ओर पतंग बनकर |

३. तोड़ – फोड़ करूँ, खिलौनों के साथ, और फिर
    रो पडूँ चीख – चीख कर नए खिलौनों के लिए  |

४.  हँसूं दिल खोलकर, निश्छल हँसी
   ज़माने ने हैं मुस्कुराहट पर ताले जड़े |

५.  रचाऊँ गुड्डे – गुड़ियों का विवाह, दोस्तों के साथ
   पिटूँ फिर से एक बार माँ के हाथ |

६.  उछलूँ – कूदूँ, खेलूँ या गिर पडूँ,
    मर्जी मेरी हो, मैं चाहे जो करूँ |

७.  बंधनों को तोड़ कर, आजाद जीने को जी चाहता है
 तनावों से मुक्त होकर, खिलखिलाने को दिल चाहता है |

८.  ज़िद से झुकाऊँ सबको या सिर पर उठा लूँ घर को
    नखरे दिखा कर, आज भी चलो सब को सताऊँ फिर से |

९.   न बात सुनूँ किसी की, न ज़ोर ज़बरदस्ती हो
    अपने मन का करना बस यही ज़िन्दगी हो |

१०  तितलियों के पीछे भागूँ, बागों में झूले झूलूँ
     भँवरों से डर कर भागूँ, नाचूँ गीत गाऊँ |

११. अपनी ही धुन में मस्त, सोचूँ न पीछे – आगे
    जो होगा देखा जायेगा, भावना यही जागे |

१२.  जो आये कोई शिकायत, पड़ोसियों के घर से
     छुप जाऊँ झट जाकर, आँचल में ममता के |

१३.   वो छिपना, वो छिपाना, उल्टा – सीधा पढ़ना
     चुपके – चुपके, बंद दरवाजे खोल भागना |

१४.   न डर न कोई खौफ़ था, न चिंता न फिकर थी
      कर - कर के गलतियाँ भी, ज़िन्दगी सुखद – सरल थी |

१५.   ऐसी ही कुछ मस्तियाँ, करने को जी चाहता है
     बचपन में लौट फिर से, गुनगुनाने को दिल चाहता है |


१६.   क्या थे पल वो, कैसे थे, मधुर – मधुर सपनों जैसे
     क्यों आज हाथ न आते वो पल, मुट्ठी से फिसलते जाते हों जैसे |



-मधु रानी
21/11/2016

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