हे शिव शंकर, हे संहारक,
संहार करो महामारी का।
क्या कोई अमृत,कोई संजीवनी
उपचार नहीं इस बीमारी का?
खोलो त्रिनेत्र,भस्म करो
तांडव मचा रहे विषाणु का।
बन दानव,लील रहा मानव को,
कर प्रहार,अंत करो इस दानव का।
बना गरल,मानव - जाति का यह,
हे नीलकंठ, कल्याण करो मानव का।
सुन लो पुकार,कर दो उद्धार
प्राणी जगत के हर प्राणी का।
विषपान किया था, जग-कल्याण हेतु
फिर आओ,औषध लेकर अमृत - सा।
23/04/2020

Bahut badiya wah.... amazing ��
ReplyDeleteThank you so much ❤️
DeleteBahut badiya wah.... amazing ��
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
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