(70वें स्वतंत्रता दिवस पर)
देश का गुरूड़ है तिरंगा,
देश की जान है एकता...
...फिर कैसी साम्प्रदायिकता?
देश का अभिमान है-- देशभक्ति
देश की प्राण है-- जनता…
...फिर कैसी साम्प्रदायिकता?
देश में अपार है-- प्रतिभा
देश की शान हैं-- युवा…
... फिर कैसी साम्प्रदायिकता?
देश में हैं धर्म अनेक
मिली सबको है समानता…
…फिर कैसी साम्प्रदायिकता?
देश है सभी का
हिन्दू हो या मुसलमाँ…
…फिर कैसी साम्प्रदायिकता?
देश के त्योहार हैं-- ईद, होली
बिना भेदभाव सबको गले मिलाता…
…फिर कैसी साम्प्रदायिकता?
देश के सरताज हैं सर्वधर्म,
सिख, इसाई, हिन्दू, इसलाम…
... फिर कैसी साम्प्रदायिकता?
भारत की पहचान हैं सारे
भगत, अम्बेदकर, नौरोजी, मौलाना…
... फिर कैसी साम्प्रदायिकता?
गर छोड़ो राजनीति
अपनाओ मानवता…
... तो फिर कैसी साम्प्रदायिकता?
नेता हमें हैं लड़ाते
पर लोग शांति चाहते…
... फिर क्यों है साम्प्रदायिकता?
न आओ झाँसे में उनके
जो देश को डुबाते…
...बढ़ाते साम्प्रदायिकता।
दुश्मन थे- अंग्रेज़ हमारे
अब आपस में हम क्यों लड़ें?
ये कैसी साम्प्रदायिकता?
हम एक हैं, कसम से,
न तोड़ो हमें फिर से…
…मिटा देंगे हम, साम्प्रदायिकता।


