क्षणिकाएँ ( माता – पिता )
१.
माँ का जाना, देखकर
कलेजा मुँह को आ गया,
पिता का जाना, सुनकर
काठ शारीर को मार गया
पर हाय री, फूटी किस्मत
अश्रु पलकों पर ही थमे रहे ------ !
कलेजा मुँह को आ गया,
पिता का जाना, सुनकर
काठ शारीर को मार गया
पर हाय री, फूटी किस्मत
अश्रु पलकों पर ही थमे रहे ------ !
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२.
माँ – बाप की आँखों के
तारे थे हम सब
लुट गया आसमान ही
तो हम तारे काहे के ------ !
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३.
जाने कितनी ही सुइयाँ
चुभोई माँ ने निज हाथों में
तब जाकर सजी बिटिया
परियों के लिबासों में |
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४.
हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा,
बुद्ध – सा निर्मल हृदय,
ईमानदारी के पुजारी
साधु - संतो – सी दिनचर्या
दुर्भावनाओं से कोसों दूर,
अधरों पर स्मित मुस्कान
यही मेरे पिता की पहचान !
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५.
गलतियाँ हजार कीं,
जीवन में
-----,
पर माँ पर लिखी पंक्तियाँ
माँ से सदा छिपाया,
और पिता के रहते, उन पर
कभी, कुछ नहीं लिखा
ये सबसे बड़ी भूल, जो
उनके जाने के बाद याद आई |
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६.
जीवन फीका, कोई रंग नहीं
आपके बिना, कोई उमंग नहीं
जब माँ पापा, आप संग नहीं
------|
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७.
मार्मिक स्मृतियाँ
शेष हैं - अब भी
माँ की हथेली
धोती उल्टियाँ,
पिता की अँगुलियाँ
रस निकालती
मौसम्बी का
प्रश्न था ---
जीवन – मरण के
बीच झूलती
नन्हीं बिटिया का ------- |
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८.
अब रह गईं हैं – सिर्फ
मधुर स्मृतियाँ आपकी
और हृदय में बसी है
जीवंत छवि आपकी
कानों में गूँजते हैं
प्यार - भरे स्वर आपके
निर्जीवों में ढूंढती हूँ
स्पर्श आपके ------|
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९.
सिर पर आशीर्वाद के
हाथों का
अहसास है अब भी |
माँ के आँचल
की खुशबू, जहन में
बरक़रार है अब भी ------|
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१०.
जी रही हूँ,
इन्हीं अनमोल
सपनों के साथ
क्योंकि – अब तो आप
रह गए हैं सपने बन कर ------|
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-मधु रानी
18/05/2016