Thursday, 13 April 2017

स्मृतियाँ

क्षणिकाएँ ( माता – पिता )




१.      माँ का जाना, देखकर
 कलेजा मुँह को आ गया,
 पिता का जाना, सुनकर
 काठ शारीर को मार गया
 पर हाय री, फूटी किस्मत
 अश्रु पलकों पर ही थमे रहे  ------ !
  --------- x ---------
२.      माँ – बाप की आँखों के
तारे थे हम सब
लुट गया आसमान ही
तो हम तारे काहे के ------ !
  --------- x ---------
३.      जाने कितनी ही सुइयाँ
चुभोई माँ ने निज हाथों में
तब जाकर सजी बिटिया
परियों के लिबासों में |
  --------- x ---------
४.      हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा,
बुद्ध – सा निर्मल हृदय,
ईमानदारी के पुजारी
साधु - संतो – सी दिनचर्या
दुर्भावनाओं से कोसों दूर,
अधरों पर स्मित मुस्कान
यही मेरे पिता की पहचान !
  --------- x ---------
५.      गलतियाँ हजार कीं,
जीवन में  -----,
पर माँ पर लिखी पंक्तियाँ  
माँ से सदा छिपाया,
और पिता के रहते, उन पर
कभी, कुछ नहीं लिखा
ये सबसे बड़ी भूल, जो
उनके जाने के बाद याद आई |
   --------- x ---------
६.      जीवन फीका, कोई रंग नहीं
आपके बिना, कोई उमंग नहीं
जब माँ पापा, आप संग नहीं  ------| 
   --------- x ---------
७.      मार्मिक स्मृतियाँ
शेष हैं - अब भी  
माँ की हथेली  
धोती उल्टियाँ,
पिता की अँगुलियाँ
रस निकालती
मौसम्बी का
प्रश्न था ---
जीवन – मरण के
बीच झूलती
नन्हीं बिटिया का ------- |
   --------- x ---------
८.      अब रह गईं हैं – सिर्फ
मधुर स्मृतियाँ आपकी
और हृदय में बसी है
जीवंत छवि आपकी
कानों में गूँजते हैं
प्यार - भरे स्वर आपके
निर्जीवों में  ढूंढती हूँ
स्पर्श आपके ------| 
   --------- x ---------
९.      सिर पर आशीर्वाद के
हाथों का
अहसास है अब भी |
माँ के आँचल
की खुशबू, जहन में
बरक़रार है अब भी ------| 
   --------- x ---------
१०.  जी रही हूँ,
इन्हीं अनमोल
सपनों के साथ
क्योंकि – अब तो आप
रह गए हैं सपने बन कर  ------| 
   --------- x ---------


-मधु रानी

18/05/2016